मेरी ज़िंदगी का किस्सा-ओ-तमाम तुम हो पापै...
मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम तुम हो पापै...
तुमसे ही ज़िन्दगी मेरी, तुमसे ज़ुरा हर पल है..
तुम्ही राहे मेरी, मेरी मंजिल भी तुम हो पापै...
भय न होगा ये अफसाना, मेरे अलफ़ाज़ खत्म हो जाएंगे..
मेरे अलफ़ाज़, मेरे जज़्बात, मेरी तो आवाज़ तुम हो पापै...
तुमसे जुड़ी धड़कने, तुमसे ही बंटा ख्वाबो का घर है..
सुल्तान ह में पर मेरी ज़िन्दगी के सुल्तान तुम हो पापै...
जब भी गिरा राहों में तुमने ही मुझे उठाया था...
तुम्ही मेरा जोश, तुम ही जूनून, मेरा तो ग़ुरूर तुम हो पापै...
जब भी रोया रातो में, तुमने ही गले से लगाया था...
खुद रातों को जागकर मुझे चैन से सुलाया था...
डर सा गया था जब में इस तन्हाई के अंधेरो से...
तब तुमने ही उन अंधेरी गलियों से मुझे निकाला था...
तुम ही मेरा सुकून, तुम ही मेरे दिल की जान हो...
तुम ही चाहत, तुम ही इबादत, तुम ही मेरा ईमान हो पाप...
हर एक ख्वाब को मेरे हक़ीक़त बनाया तुमने...
मर्ज़ गए उन बागों में फिर बाहर लाया तुमने...
एक एक दिन अपनी ज़िन्दगी का मेरे लिए कुर्बान किया...
गिरकर फिर कैसे उठना ये अंदाज सिखाया तुमने...
कैसे भुलादु ये बाते, केसे चुकाऊ एहसान इन सब का...
मेरी आन, मेरी बाण, मेरी ज़िन्दगी की तो शान तुम हो पापै...
ख्वाहिस हे मेरी कदमो में आपके ये सारा जहाँ बिछडु...
इजाजत दे वो मेरा रब तो तारीफ में आपकी सारा आसमान सजद...
होकर भी कभी खत्म न हो ये रिश्ता हमारा ए पाप...
एक एक खुसी के लिए आपकी ए पापै में तो खुद को जला दू...
तुम ही माँ, तुम ही पाप, हर रिश्ते का मेरे तुम ही किरदार हो..
में उस रब का, ये दिल उस रब का, पर इन धड़कनों के सिरताज सिर्फ तुम हो पापै...
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