नई उम्मीदों का त्यौहार है दिवाली,
अँधेरे से उजाले का प्रतिक है दिवाली,
भुला के सरे गम और शिकवे दिलोंके,
जलाओ दीये हाज़ारों, साल भर बाद आई है दिवाली.....
दुष्ट पर विजय का पर्व है दिवाली,
एक पत्नी का अपने नाथ प्रति भरोसे का जश्न है दिवाली,
मन में हो विश्वास और खुद पर हो यकीन,
तो अमावस पर भी उजाला फेलाती है दिवाली.....
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