" जीवन स्वयं व्यापार बना हैं
मोल – तोल का भाव बना हैं
क्रय – विक्रय जो करना चाहो
इसके वास्ते संसार बना हैं
फिर भी कुछ अनमोल है इसमें
जिसका कोई मोल नहीं
भक्त की भक्ती हो
हो साकी की हाला
दाम से नही मिलती
सम्मान से मिलती मधुशाला।"
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