Had-E-Shehar Se Nikli - Shayari

हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली।

कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली।

सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ।

वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।। ..."

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