" कुछ खवाब सुहाने टुट गऐ,
कुछ यार पुराने रूठ गऐ..
कुछ जख्म लगे थे चहरे पर,
कुछ अन्दर से हम टुट गऐ..
कुछ हम थे तबीयत के सादे,
कुछ लोग बेगाने लुट गऐ..
कुछ अपनो ने बदनाम किया,
कुछ बन अफसाने झूठ गऐ..
कुछ अपनी शिकस्ता नाव थी,
कुछ हमसे किनारे छुट गऐ.. "
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