Kya Hai Bhav Rishto Ko - Hindi Shayari


" कदम रुक गए, जब पहुंचा मैं बाज़ार में,

बिक रहे थे रिश्ते खुले आम व्यापर में।

मैंने पूछा- "क्या भाव है रिश्तों का?"

दुकानदार बोला -" कौन सा चाहिए, 

बेटा या बाप?

बहेन या भाई? इंसानियत का दूँ या प्यार का?

दोस्ती का या विश्वास का? बाबूजी, क्या चाहिए,

बोलो तो सही, सब चीज़ बिकाऊ है यहाँ,

आप चुपचाप क्यूँ खड़े हो, मुंह खोलो तो सही?"


मैंने उनसे जब पूछा "माँ के रिश्ते का क्या भाव है?'

तो दुकानदार तुरंत नम होती आँखों से बोला -

"संसार इसी रिश्ते पे तो टिका है बाबु। माफ़ करना,

ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है। इसका कोई मोल नहीं लगा पाएंगा।

ये रिश्ता भी बिक गया तो फिर तो ये संसार भी उजड़ जायेगा ! "

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