आज करीब से

आज करीब से गुज़र कर गई है..

अनदाज-बे-नाम कर गई है..

मईय्यत पर मेरी रुक कर अनजान बन गई है..

पुछती है लोगों से..

ये किस की मईय्यत सजाई गई है.."

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